एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा- 'मैं कब पूरी होउंगी?' ज़िन्दगी ने जवाब दिया- 'कभी नहीं'। आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा- 'क्यूँ?' तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया 'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???' ये सुन कर आरज़ू मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी। - सलीम खान 1999
एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा- 'मैं कब पूरी होउंगी?' ज़िन्दगी ने जवाब दिया- 'कभी नहीं'। आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा- 'क्यूँ?' तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया 'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???' ये सुन कर आरज़ू मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी।
1 टिप्पणियाँ:
जीवन की ये अभिलाषा
कभी न पूरी होने वाली आशा,
सागर, नदिया जीवन सारा
प्यास न बुझने की ये निराशा |
जीवन की ये अभिलाषा
पूरी करने को अनवरत दौड़ रहा,
ख़त्म हो गया जीवन सारा
कुछ न पाने की ये निराशा |
जीवन की ये अभिलाषा
कभी न पूरी होने वाली आशा,
न रहती अधूरी, गर हो जाती पूरी
------------------- |
एक टिप्पणी भेजें