कहाँ तलाशूँ तुझे

दू तलक गूंजते हैं यहाँ सन्नाटे रात भर,
दिन के शोर ओ शराबे में भी होता हूँ मैं तन्हाँ.
दिल की आवाज़ भी सुन लो, सुन लो मेरी आरज़ू,
कहाँ तलाशूँ तुझे मैं, तुम हो कहाँ, मैं हूँ कहाँ?

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