सुंदर रचना भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है। लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है । कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है । मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें www.zindagilive08.blogspot.com आर्ट के लिए देखें www.chitrasansar.blogspot.com
दिगम्बर जी, आपका धन्यवाद ब्लॉग पर आने का, आशा करता हूँ आप इसी तरह आते रहेंगे | आपके ब्लॉग में बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाये है, अभी थोड़ा ही पढ़ा है | इंशा अल्लाह जल्द ही फ़िर पढूंगा |
संगीता जी, धन्यवाद प्रोत्साहन के लिए | आप से हमारी मुलाक़ात मेरे अन्य ब्लॉग स्वच्छ संदेश पर भी हो चुकी है | इस आशा के साथ आप हमारे ब्लॉग पर आते रहे और मैं आपके ब्लॉग पर नियमित जाता रहूँ पुनः धन्यवाद |
एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा- 'मैं कब पूरी होउंगी?' ज़िन्दगी ने जवाब दिया- 'कभी नहीं'। आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा- 'क्यूँ?' तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया 'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???' ये सुन कर आरज़ू मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी। - सलीम खान 1999
एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा- 'मैं कब पूरी होउंगी?' ज़िन्दगी ने जवाब दिया- 'कभी नहीं'। आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा- 'क्यूँ?' तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया 'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???' ये सुन कर आरज़ू मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी।
10 टिप्पणियाँ:
सबसे पहले तो आपके ब्लॉग के लेआउट के लिये बधाई! छो्टे-छोटे आकार में बड़े-बड़े झटकों की तैयारी है। लिखते रहें!
sundar soochana dene ke liye badhai ho.blog ki is duniya me apka swagat hai
दिल के ज़ज्बात को सुंदर तरीके से उभरा है......अच्छी रचना
सुंदर रचना
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
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चिराग जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद,
एक शेर अर्ज़ है...
मैं अकेला ही चला था
जानिब ऐ मंजिल की तरफ़,
लोग आते गए कारवां बढ़ता गया |
वीरेन्द्र जी, आप का बहुत बहुत धन्यवाद | आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा |
दिगम्बर जी, आपका धन्यवाद ब्लॉग पर आने का, आशा करता हूँ आप इसी तरह आते रहेंगे | आपके ब्लॉग में बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाये है, अभी थोड़ा ही पढ़ा है | इंशा अल्लाह जल्द ही फ़िर पढूंगा |
संगीता जी, धन्यवाद प्रोत्साहन के लिए | आप से हमारी मुलाक़ात मेरे अन्य ब्लॉग स्वच्छ संदेश पर भी हो चुकी है | इस आशा के साथ आप हमारे ब्लॉग पर आते रहे और मैं आपके ब्लॉग पर नियमित जाता रहूँ पुनः धन्यवाद |
रचना जी, आपकी रचनाएँ पढीं, बहुत सुंदर है | खास कर घड़ा (पुरूष) और सुराही (स्त्री) और निरक्षर मानव | इसी उम्मीद के साथ आप अति रहेंगी, धन्यवाद |
saath chalte majbur gam naa hota,shama ko intjaar tab bhee tha ab bhee hai. narayan narayan
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