याद तो आता हूँ ना !

कभी अगर शाम हो और तन्हाई का आलम हो,
सन्नाटे में चीरता हुआ एक एहसास दिल को तेरे,
मेरी याद तो दिलाता होगा तुम्हें 'आरज़ू' |

सुबह सुबह जब खामोशी से नींद खुलती होगी,
फ़िर आँख खुलते ही मुझे नज़दीक न पाना,
मेरी याद तो दिलाता होगा तुम्हें 'आरज़ू' |

10 टिप्पणियाँ:

सबसे पहले तो आपके ब्लॉग के लेआउट के लिये बधाई! छो्टे-छोटे आकार में बड़े-बड़े झटकों की तैयारी है। लिखते रहें!

Dr. Virendra Singh Yadav ने कहा…

sundar soochana dene ke liye badhai ho.blog ki is duniya me apka swagat hai

दिल के ज़ज्बात को सुंदर तरीके से उभरा है......अच्छी रचना

सुंदर रचना
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

Saleem Khan ने कहा…

चिराग जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद,

एक शेर अर्ज़ है...

मैं अकेला ही चला था
जानिब ऐ मंजिल की तरफ़,
लोग आते गए कारवां बढ़ता गया |

Saleem Khan ने कहा…

वीरेन्द्र जी, आप का बहुत बहुत धन्यवाद | आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मिलता रहेगा |

Saleem Khan ने कहा…

दिगम्बर जी, आपका धन्यवाद ब्लॉग पर आने का, आशा करता हूँ आप इसी तरह आते रहेंगे | आपके ब्लॉग में बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाये है, अभी थोड़ा ही पढ़ा है | इंशा अल्लाह जल्द ही फ़िर पढूंगा |

Saleem Khan ने कहा…

संगीता जी, धन्यवाद प्रोत्साहन के लिए | आप से हमारी मुलाक़ात मेरे अन्य ब्लॉग स्वच्छ संदेश पर भी हो चुकी है | इस आशा के साथ आप हमारे ब्लॉग पर आते रहे और मैं आपके ब्लॉग पर नियमित जाता रहूँ पुनः धन्यवाद |

Saleem Khan ने कहा…

रचना जी, आपकी रचनाएँ पढीं, बहुत सुंदर है | खास कर घड़ा (पुरूष) और सुराही (स्त्री) और निरक्षर मानव | इसी उम्मीद के साथ आप अति रहेंगी, धन्यवाद |

saath chalte majbur gam naa hota,shama ko intjaar tab bhee tha ab bhee hai. narayan narayan

Blogger Template by Clairvo