जीवन की ये अभिलाषा


जीवन की ये अभिलाषा
कभी न पूरी होने वाली आशा,
सागर, नदिया जीवन सारा
प्यास न बुझने की ये निराशा

जीवन की ये अभिलाषा
पूरी करने को अनवरत दौड़ रहा,
ख़त्म हो गया जीवन सारा
कुछ न पाने की ये निराशा

जीवन की ये अभिलाषा
कभी न पूरी होने वाली आशा,
न रहती अधूरी, गर हो जाती पूरी
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इस आखिरी पंक्ति में मुझे समझ नही आ रहा क्या लिखूं?!!!

इतना मालूम है कि लिखी जाने वाली इस अधूरी पंक्ति में जो होगा उसका भावार्थ इस प्रकार होगा कि-

"अगर जीवन की सभी अभिलाषा पूरी हो जाएगी, सभी आशा पूरी हो जायेगी तो क्या मनुष्य जी पायेगा? क्या उसके पास अपनी सभी अभिलाषा और आशा पूरी हो जाने पर कोई अभिलाषा न बचेगी? अर्थात जीवन की सभी अभिलाषा पूरी हो जाने पर मनुष्य जी ही नहीं सकता, वह तो मृत समान है "

कृपया इन भावार्थ को एक लाइन में समेट कर बनाईये

5 टिप्पणियाँ:

न मिलते हम,फिर क्या बात रह जाती अधूरी?
.....
बहुत अच्छे भावों को समेट है,बहुत अच्छा लगा

Saleem Khan ने कहा…

रश्मि मैडम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, जो आप हमारे ब्लॉग पर पधारीं और अपना अमूल्य साथ दिया इस कविता हेतु |

KK Yadav ने कहा…

Sundar Prayas...jari rakhen !!

vandana gupta ने कहा…

bahut sundar bhav.

अलीम आज़मी ने कहा…

saleem bhai bahut achcha likha hai aapne wah kya baat hai

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