........................................काश !



काश !
अगर आप मेरी ज़िन्दगी में ही न आती,
तो आपको खोने की नौबत ही न आती |

अगर आप मेरी खुशियाँ ही न बनतीं,
तो आपके ग़म की नौबत ही न आती |

अगर आपको देखकर ज़िन्दगानी न आती,
तो बे-मौत मरने की नौबत ही न आती |

अगर आरज़ू-ऐ-इश्क दिल में ही न उठती,
ख़स्ता-ख़स्ता बिखरने की नौबत ही न आती |

अगर दिल में उल्फ़त की रवानी न होती,
आपको बेवफ़ा कहने की नौबत ही न आती |

1 टिप्पणियाँ:

jyoti ने कहा…

nice

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