वो जुदा क्या हुए ज़िन्दगी खो गयी शम्मा जलती रही रोशनी खो गयी: Saleem Khan


वो जब याद आये बहुत याद आये 
ग़म-ए-ज़िन्दगी के अँधेरे में हमने 
चिराग़-ए-मुहब्बत जलाये बुझाये
वो जब याद आये बहुत याद आये 


आहटें जाग उठी रास्ते हँस दिए 
थामकर दिल उठे हम किसी के लिए 
कई बार ऐसा भी धोका हुआ है
चले आ रहें हैं वो नज़रें झुकाए  
वो जब याद आये बहुत याद आये 
ग़म-ए-ज़िन्दगी के अँधेरे में हमने 
चिराग़-ए-मुहब्बत जलाये बुझाये
वो जब याद आये बहुत याद आये 
 

दिल सुलगने लगा अश्क बहने लगे 
जाने क्या क्या हमें लोग कहने लगे 
मगर रोते रोते हँसी आ गयी है
ख्यालों में आ के वो जब मुस्कुराये

वो जब याद आये बहुत याद आये 
ग़म-ए-ज़िन्दगी के अँधेरे में हमने 
चिराग़-ए-मुहब्बत जलाये बुझाये
वो जब याद आये बहुत याद आये 


वो जुदा क्या हुए ज़िन्दगी खो गयी 
शम्मा जलती रही रोशनी खो गयी 
बहुत कोशिशें कि मगर दिल न बहला  
कई साज़ छेड़ें कई गीत गाये 
वो जब याद आये बहुत याद आये

3 टिप्पणियाँ:

kshama ने कहा…

Behad haseen nagma hai yah..Lata ji ne gaya bhi usee shiddat se hai...

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

bahoot behtreen nagma laga hai .

Kulwant Happy ने कहा…

काबिले तारीफ प्रस्तुति

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