कुछ फूल भी ज़ख्म दे देते हैं यक़ीन मानों मेरा
दिल ज़ख़्मी हो सिर्फ़ ख़ार से ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी ख़ुशी ज़िन्दगी में
ख़ुशी के बदले ख़ुशी ही मिले ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी मोहब्बत ज़िन्दगी में
मोहब्बत के बदले मोहब्बत मिले ज़रूरी तो नहीं
हो क़िस्मत पर सबका इखित्यार ज़रूरी तो नहीं
ग़म में रो सके जो आँखें ज़ार-ज़ार ज़रूरी तो नहीं
रोने से क्या फायेदा मिलेगा अब 'ऐ सलीम'
ज़ीस्त से हों जाएँ सब बेज़ार ज़रूरी तो नहीं.
17 टिप्पणियाँ:
Ham soch len aur waisa har baar ho jaye...zarooree to nahee!
Nihayat khoobsoorat rachana!
hazaron khawahisen aisi ki har khawahish pe dam nikle. bahut nikle mere arma lekin phir bhi kam nikle.
dil ko chhu lene wali rachna. kabhi is nachiz ki rachnao par bhi apni nazar-e-karam kare. shukriya
amit chandra jee
aapka shukriya
aapki ravchnaye adbhut hain....
saleem
9838659380
अजब सलीम भाई की ग़ज़ब रचनाएँ
कुछ फूल भी ज़ख्म दे देते हैं यक़ीन मानों मेरा
दिल ज़ख़्मी हो सिर्फ़ ख़ार से ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी ख़ुशी ज़िन्दगी में
ख़ुशी के बदले ख़ुशी ही मिले ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी मोहब्बत ज़िन्दगी में
मोहब्बत के बदले मोहब्बत मिले ज़रूरी तो नहीं
हो क़िस्मत पर सबका इखित्यार ज़रूरी तो नहीं
ग़म में रो सके जो आँखें ज़ार-ज़ार ज़रूरी तो नहीं
ek ek shabd dil men utar gaye
ati-sundar.
बेहद दर्द ही दर्द भरा है…………मनचाहा कब किसने पाया है।
चाही जो मैंने थोड़ी सी मोहब्बत ज़िन्दगी में
मोहब्बत के बदले मोहब्बत मिले ज़रूरी तो नहीं
-सही कहा, सलीम भाई..बहुत बढ़िया.
vandana jee shukriya!
sameer lal jee aap hamare blog par aaye
aapka bahut bahut shukriya !!!
चाही जो मैंने थोड़ी सी ख़ुशी ज़िन्दगी में
ख़ुशी के बदले ख़ुशी ही मिले ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी मोहब्बत ज़िन्दगी में
wah wah bahoot acha likha app ne
चाही जो मैंने थोड़ी सी ख़ुशी ज़िन्दगी में
ख़ुशी के बदले ख़ुशी ही मिले ज़रूरी तो नहीं
चाही जो मैंने थोड़ी सी मोहब्बत ज़िन्दगी में
wah wah bahoot acha likha app ne
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