अब फ़िर आ गए हो तो अब ना जाना !














अब फ़िर आ गए हो तो अब ना जाना !

ज़िन्दगी खुशनुमा ना थी
आरज़ूयें ज़िंदा ना थीं
अब वक़्त ऐसा जो लाये हो कि
ज़िन्दगी खुशनुमा है
आरज़ूयें ज़िन्दा हो गयीं हैं !
इसलिए
अब फ़िर आ गए हो तो अब ना जाना !

वक़्त का एक लम्हा सदियों की तरह लगता था
तनहाई में भी लगता जैसे कोई मुझे तकता था
अब वक़्त ऐसा लाये हो कि
वक़्त रुकता ही नहीं पल भर टिक कर
सन्नाटें में भी तुम्हारे एहसास का साया रहता है !
इसलिए
अब फ़िर आ गए हो तो अब ना जाना !

1 टिप्पणियाँ:

kshama ने कहा…

Kitni pyari minnat hai!

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