आज दीदार के लिए आया हूँ आपके, अपने चेहरे से तो ज़ुल्फ़ें हटा लीजिये


या तो जल जाईये या जला दीजिये
अपने आपको मुझसे मिला दीजिये

कब तलक करता रहूँगा इन्तिज़ार
अब तो मोहब्बत का सिला दीजिये

आज दीदार के लिए आया हूँ आपके
अपने चेहरे से तो ज़ुल्फ़ें हटा लीजिये

इस गुलिस्तान में फूल खिल जायेंगे
आप बस एक बार मुस्कुरा दीजिये

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