मंज़िले-जाविदाँ की पा सका न डगर
पूरा होके भी पूरा हो सका न सफ़र
दुआएं तो तुने भी की थी मेरे लिए
दुआएं तेरी भी क्यूँ हो गयीं बेअसर
मुश्किल कुछ भी नहीं इस जहाँ में
साथ तेरा जो मिल जाए मुझे अगर
दिखा जब से मुझे सिर्फ तेरा ही दर
तब से ही भटक रहा हूँ मैं दर ब दर
जब तू समा ही गयी है मेरी नज़र में
तो अब क्यूँ नहीं आ रही है मुझे नज़र
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