दरिया-ए-मोहब्बत में जो कश्ती को उतारोगे: SALEEM


दरिया-ए-मोहब्बत में जो कश्ती को उतारोगे
सच कहता हूँ मेरे दोस्त बहुत पछताओगे

किसी को जो जब अपने दिल से लगाओगे

सच कहता हूँ मेरे दोस्त बहुत पछताओगे

जिसके नाम से ज़िन्दा है तुम्हारी दुनियाँ
उसी को तुम अपने से दूर
बहुत पाओगे

मसलके-इश्क़ के झंडाबरदारों को तुम 'सलीम'
अपने मसलक के खुदा से लड़ते बहुत पाओगे

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