tag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post8333728013003881113..comments2023-04-11T21:56:06.753+05:30Comments on ज़िन्दगी की आरज़ू: मुझको दीवाना समझ वो मुस्कुराते रहे !Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-20192225878592327832012-05-11T08:47:15.293+05:302012-05-11T08:47:15.293+05:30shukriyashukriyaSaleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-52292965616200949042011-06-15T17:11:26.884+05:302011-06-15T17:11:26.884+05:30कहा जो मैंने गर कहो तो जाँ दे दूं "आरज़ू"...कहा जो मैंने गर कहो तो जाँ दे दूं "आरज़ू"<br />मुझको दीवाना समझ वो मुस्कुराते रहे !<br />अच्छा शेर..... पूरी ग़ज़ल अच्छी बन पड़ी है....!!!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-27259352235840319092011-06-11T00:59:50.914+05:302011-06-11T00:59:50.914+05:30बस वाह वाह,
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com...बस वाह वाह,<br />साभार-<a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-65087793149956910432011-06-10T22:10:26.038+05:302011-06-10T22:10:26.038+05:30हर शेर शानदार है। सादर।हर शेर शानदार है। सादर।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-56487589285685149752011-06-10T17:09:17.874+05:302011-06-10T17:09:17.874+05:30हम नशेमन बनाते रहे और वो बिजलियाँ गिराते रहे
अपनी-...हम नशेमन बनाते रहे और वो बिजलियाँ गिराते रहे<br />अपनी-अपनी फितरत दोनों ज़िन्दगी भर निभाते रहे<br />Nihayat khoobsoorat panktiyan!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-53206328024960243182011-06-10T17:05:58.901+05:302011-06-10T17:05:58.901+05:30शिकायत रहेगी हमेशा ता-क़यामत मुझे
साथ रकीब के वो ...शिकायत रहेगी हमेशा ता-क़यामत मुझे <br />साथ रकीब के वो मेरी क़ब्र पर आते रहे<br /><br />sabse sateek panktiyan .bahut khoob .Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-35194498343124149422011-06-10T16:33:41.192+05:302011-06-10T16:33:41.192+05:30समझ न सके वो हमें या हम ही नादान थे
उसूल-ए-राह-ए-इ...समझ न सके वो हमें या हम ही नादान थे<br />उसूल-ए-राह-ए-इश्क वो मुझे समझाते रहे॥<br /><br />बहुत सुन्दर पंक्तियाँ । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-42255158354052193752011-06-10T13:19:06.530+05:302011-06-10T13:19:06.530+05:30शिकायत रहेगी हमेशा ता-क़यामत मुझे
साथ रकीब के वो ...शिकायत रहेगी हमेशा ता-क़यामत मुझे <br />साथ रकीब के वो मेरी क़ब्र पर आते रहे!<br />खुदाया ऐसा ज़ुल्म ना कोई किसी पर करे।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-18846612826725844782011-06-10T11:59:54.963+05:302011-06-10T11:59:54.963+05:30वंदना जी का सन्देश --
आपकी रचना यहां भ्रमण पर है ...वंदना जी का सन्देश --<br /><br />आपकी रचना यहां भ्रमण पर है आप भी घूमते हुए आइये स्वागत है<br />http://tetalaa.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-83131036022390014142011-06-10T11:57:24.275+05:302011-06-10T11:57:24.275+05:30Nice poem.
मेरा मिशन आशा और अनुशासन का मिशन है। ल...Nice poem.<br /><br />मेरा मिशन आशा और अनुशासन का मिशन है। लोग बेहतरी की आशा में ही अनुशासन भंग करते हैं और जो लोग अनुशासन भंग करने से बचते हैं, वे भी बेहतरी की आशा में ही ऐसा करते हैं। समाज में चोर, कंजूस, कालाबाज़ारी और ड्रग्स का धंधा करने वाले भी पाए जाते हैं और इसी समाज में सच्चे सिपाही, दानी और निःस्वार्थ सेवा करने वाले भी रहते हैं। हरेक अपने काम से उन्नति की आशा करता है। जो ज़ुल्म कर रहा है वह भी अपनी बेहतरी के लिए ही ऐसा कर रहा है और जो ज़ुल्म का विरोध कर रहा है वह भी अपनी और सबकी बेहतरी के लिए ही ऐसा कर रहा है।<br />ऐसा क्यों है ?<br />ऐसा इसलिए है कि मनुष्य सोचने और करने के लिए प्राकृतिक रूप से आज़ाद है। वह कुछ भी सोच सकता है और वह कुछ भी कर सकता है। दुनिया में किसी को भी उसके अच्छे-बुरे कामों का पूरा बदला मिलता नहीं है। क़ानून सभी मुजरिमों को उचित सज़ा दे नहीं पाता बल्कि कई बार तो बेक़ुसूर भी सज़ा पा जाते हैं। ये चीज़ें हमारे सामने हैं। हमारे मन में न्याय की आशा भी है और यह सबके मन में है लेकिन यह न्याय मिलेगा कब और देगा कौन और कहां ?<br />न्याय हमारे स्वभाव की मांग है। इसे पूरा होना ही चाहिए। अगर यह नज़र आने वाली दुनिया में नहीं मिल रहा है तो फिर इसे नज़र से परे कहीं और मिलना ही चाहिए। यह एक तार्किक बात है।<br />हमें वह काम करना चाहिए जिससे समाज में ‘न्याय की आशा‘ समाप्त न होने पाए। ऐसी मेरी विनम्र विनती है विशेषकर आप जैसे विद्वानों से।<br />मान्यताएं कितनी भी अलग क्यों न हों ?<br />हमें समाज पर पड़ने वाले उनके प्रभावों का आकलन ज़रूर करना चाहिए और देखना चाहिए कि यह मान्यता समाज में आशा और अनुशासन , शांति और संतुलन लाने में कितनी सहायक है ?<br />इसे अपनाने के बाद हमारे देश और हमारे विश्व के लोगों का जीना आसान होगा या कि दुष्कर ?<br />इसके बावजूद भी मत-भिन्नता रहे तो भी हमें अपने-अपने निष्कर्ष के अनुसार समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यथासंभव कोशिश करनी चाहिए और इस काम में दूसरों से आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।<br /><br />निम्न लेख भी विषय से संबंधित है और आपकी तवज्जो का तलबगार है :<br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/dr-anwer-jamal_8784.html" rel="nofollow">http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/dr-anwer-jamal_8784.html</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-123140288103340157.post-72607497184532019932011-06-10T11:17:32.007+05:302011-06-10T11:17:32.007+05:30हम नशेमन बनाते रहे और वो बिजलियाँ गिराते रहे
अपनी-...<i>हम नशेमन बनाते रहे और वो बिजलियाँ गिराते रहे<br />अपनी-अपनी फितरत दोनों ज़िन्दगी भर निभाते रहे</i><br /><br />बेहद खूबसूरती के साथ लफ्जों का जोड़ किया है अपने... बहुत खूब!<br /><br /><br /><a href="http://www.premras.com" rel="nofollow">प्रेमरस</a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.com