कहाँ तलाशूँ तुझे मैं तुम्हें आरज़ू -presented by Saleem Khan

दूर तलक गूंजते हैं यहाँ सन्नाटे रात भर
दिन के शोर ओ शराबे में भी होता हूँ मैं तन्हाँ!
दिल की आवाज़ भी सुन लो, सुन लो मेरी आरज़ू
कहाँ तलाशूँ तुझे मैं, तुम हो कहाँ, मैं हूँ कहाँ?

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याद तो आता हूँ ना में तुम्हें आरज़ू ! -presented by Saleem Khan

कभी अगर शाम हो और तन्हाई का आलम हो,
सन्नाटे में चीरता हुआ एक एहसास दिल को तेरे,
मेरी याद तो दिलाता होगा तुम्हें 'आरज़ू'

सुबह सुबह जब खामोशी से नींद खुलती होगी,
फ़िर आँख खुलते ही मुझे नज़दीक न पाना,
मेरी याद तो दिलाता होगा तुम्हें 'आरज़ू'

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हमें भी आरज़ू थी तेरे संग ज़िन्दगी बिताने की -presented by Saleem Khan

हमें भी आरज़ू थी तेरे संग ज़िन्दगी बिताने की
पर 'आरज़ू', साथ तेरा हमने पाया भी तो नहीं

माना कि ज़िन्दगी में बहुत बहाने हैं, आंसू बहाने के लिए
पर तुने जैसे रुलाया है, पहले किसी ने रुलाया भी तो नहीं

ऐसा नहीं कि तेरे आने से पहले, हम कभी मुस्कुराये न थे
पर तेरे जाने के बाद वैसे किसी ने हंसाया भी तो नहीं

भटकते रहे इस दुनिया में हमसफ़र की तलाश में
पर तुझ जैसा हमसफ़र फिर दोबारा मिला भी तो नहीं

तेरी यादों की शहादत* मेरे अश्क देते हैं 'ए आरज़ू'
तेरे सिवा कोई और इन अश्कों के क़ाबिल भी तो नहीं

*गवाही

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कोई आरज़ू नहीं और ज़िन्दगी में...(No desire in life now) presented by Saleem Khan


तन्हा मैं ज़िन्दगी बिताऊं कैसे
तेरी याद दिल से मिटा दूँ कैसे


कोई आरज़ू नहीं और ज़िन्दगी में
सिर्फ़ यही की तुझे अपना बनाऊं कैसे


तू नहीं हो सकती मेरी ये मैं जानता हूँ
पर दिल-ऐ-नादाँ को ये समझाऊं कैसे


ज़ख्म दे रहे हैं मेरे दिल के तुझे दुआ
तुझे ख़ुशी मिले और मैं न मुस्कुराऊं कैसे


ख़त्म न हो इस दिल की कहानी क़यामत तक
पर तू न हुई मेरी ये मैं सबको बताऊँ कैसे


रह गया प्यासा मैं तेरी मोहब्बत का
इस दिल की प्यास बढ़ गयी है बुझाऊं कैसे


ज़िन्दगी दी खुदा ने और दे दी तेरी आरज़ू
अब इस आरज़ू को मैं दिल से मिटाऊं कैसे


ज़िन्दगी मिली है तो मोहब्बत ही कर लूं
बिन तेरी मोहब्बत के दुनियाँ से चला जाऊँ कैसे


इंतज़ार करूँगा तेर इक़रार का उस जहाँ में भी
मर कर तू ही बता तुझे भूल जाऊं कैसे

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ज़िन्दगी की आरज़ू Desire of Life by Saleem Khan




~~~
एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा-



'मैं कब पूरी होउंगी?'



ज़िन्दगी ने जवाब दिया-



'कभी नहीं'!



आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा-



'क्यूँ?'



तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया



'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???'



ये सुन कर आरज़ू बहुत मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी.



- सलीम खान 1999-2009

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ज़िन्दगी की आरज़ू (Desire of Life)




~~~
एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा-



'मैं कब पूरी होउंगी?'



ज़िन्दगी ने जवाब दिया-



'कभी नहीं'!



आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा-



'क्यूँ?'



तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया



'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे!!!???'



ये सुन कर आरज़ू बहुत मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक-सुबक कर रोने लगी.



- सलीम खान 1999-2009

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