अहले वफ़ा के शहर में क्या हादसा मिला
मुझसे जो शख्स मिला सिर्फ़ बेवफ़ा मिला
मैंने ज़िन्दगी भर उसे अपना हबीब ही समझा
उसको ये क्या हुआ कि वो रक़ीबों से जा मिला
उसको ये क्या हुआ कि वो रक़ीबों से जा मिला
उम्र भर जिसके साथ रहे मोहब्बत की राह में
उसी का पता ज़िन्दगी भर मैं पूछता मिला
दोस्त बन बन के मुझे दर्द देते रहे सभी
अपनों के बीच कुछ ऐसा सिलसिला मिला
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