मैं एक अदना सा 'सलीम'

वक़्त बेपरवाह है 
वक़्त के साथ चलो

कोई क़िस्सा न बनो 
खुद में हालात बनो
वक़्त के साथ चलो.

बज़्म में शोर नहीं 
दिल पे कोई ज़ोर नहीं
अपना कोई ठौर नहीं
वक़्त के साथ चलो.

नक़ाब-दर-नक़ाब है वो
फ़िर भी एक ख़्वाब है वो 
जाने कैसा जनाब है वो 
वक़्त के साथ चलो.

इक ज़रा हाथ बढ़ा
दो क़दम साथ बढ़ा
जज़्बे हँसी में न उड़ा
वक़्त के साथ चलो.

आईना टूट गया
साथ जो  छूट गया
मुझसे वो रूठ गया 
वक़्त के साथ चलो.

हाथ में है सिर्फ़ लकीरें 
पढ़ी न गई अपनी ताबीरें
तन्हाईयाँ दिल को चीरें
वक़्त के साथ चलो.

जिसपे भरोसा है किया 
क़त्ल उसने ही किया
पूछे वो ये किसने किया
वक़्त के साथ चलो.

मेरा कौन मुकाम
मेरा कौन मुकीम
तुझे पाने की मुहीम
मैं एक अदना सा 'सलीम'
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Saleem Khan
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कौन आता है यहाँ इस दर के लिए::: Saleem KHAN


वक़्त रुकता नहीं पल भर के लिए
कौन आता है यहाँ इस दर के लिए

उसको आया गया
मुझसे बुलाया गया
कौन रखता है भरम इस सर के लिए

आंसुओं और अंधेरों में अब रहता है
जाने क्यूँ दिल उदास अब रहता है
जाने क्यूँ है ख़ला बेख़बर के लिए


मेरी बस्ती में ऐसा सूनापन
उसकी महफ़िल ऐसा हंगामा
इतना फ़र्क़ रिश्ता अन्दर है लिए

इक ज़रा साथ मिले तो कह दूं
कितना उससे मैं प्यार करता हूँ
तरस गया हूँ मैं उस मंज़र के लिए

बेसबब बात यूँ उससे उलझ सी गयी
मुश्तक़बिल की तस्वीर बदल सी गयी
एक बूँद मिली मेरे समंदर के लिए


वक़्त रुकता नहीं पल भर के लिए
कौन आता है यहाँ इस दर के लिए
(Saleem Khan)

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