कौन इसकी परवाह करे


मेरा हबीब है रकीब के जैसा 
कौन मुझे आगाह करे
दिल का मसला ज़ालिम के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

परवाना जल के मर जायेगा 
कौन उसे आगाह करे 
इश्क का मसला मौत के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

मर जायेंगे और मिट जायेंगे 
अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे 
अंजाम का मसला ज़हर के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

लहू का क़तर ज़ाया होगा 
उसका ऐब न नुमायाँ होगा 
ऐब का मसला अदा के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं 
दिल तोडना क्या जुर्म नहीं 
जुर्म का मसला इंसाफ के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

अक्स जो उसके चेहरे में उभरा 
चर्चा जो मेरे नाम से गुज़रा 
नाम का मसला 'सलीम' के जैसा 
कौन इसकी परवाह करे 

0 टिप्पणियाँ:

Blogger Template by Clairvo