लेकिन तेरे दम से मेरी ज़ात है: Saleem Khan




मेरे दम से ये पूरी क़ायनात है
लेकिन तेरे दम से मेरी ज़ात है।

इश्क के सिवा काम क्या बचा
सुकून छिन गया दिल बेताब है।

क़ब्ज़ा-ए-दिल तुझसे जो जुड़ गया
लोग कहने लगे अरे कुछ तो बात है।

तेरी राह पे जबसे मैं चल पड़ा
उसूल की जगह निभाए जज़्बात है।

होश अब कहाँ दिल-ए-बेक़रार में
खुद पे अब कहाँ अख्तियारात है।

खो गया हूँ मैं अपने धुन में ही
अब कहाँ पता दिन या रात है।

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