लेकिन तेरे दम से मेरी ज़ात है।
इश्क के सिवा काम क्या बचा
सुकून छिन गया दिल बेताब है।
क़ब्ज़ा-ए-दिल तुझसे जो जुड़ गया
लोग कहने लगे अरे कुछ तो बात है।
तेरी राह पे जबसे मैं चल पड़ा
उसूल की जगह निभाए जज़्बात है।
होश अब कहाँ दिल-ए-बेक़रार में
खुद पे अब कहाँ अख्तियारात है।
खो गया हूँ मैं अपने धुन में ही
अब कहाँ पता दिन या रात है।
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