जवानी में ये तन्हाई कितना तड़पाती है:: SALEEM


क़ुरबत के वो दिन याद आतें हैं मुझको 
तेरी फुरक़त की आंच जब जलाती है,
तुझमें तो अब कुछ एहसास बचा नहीं
तेरी यादें मुझे अब कितना तड़पाती हैं.

तमन्ना है मरने से पहले देख तो लूं तुझे
आ जाओ अब मेरी मैयत भी जाती है,
कैसे अपने अश्क छुपाऊँ दुनियाँ वालों से
तेरी जुदाई में पल पल मेरी आँख भर आती है.

नाम तक भूल गया है तू जूनून में मेरा
पर धडकनों पे बस तेरी ही साज़ आती है,  
रात जुदाई की जब सर पे आती है 'सलीम'

जवानी में ये तन्हाई कितना तड़पाती है.

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