वक़्त रुकता नहीं पल भर के लिए
कौन आता है यहाँ इस दर के लिए
उसको आया न गया
मुझसे बुलाया न गया
कौन रखता है भरम इस सर के लिए
आंसुओं और अंधेरों में अब रहता है
जाने क्यूँ दिल उदास अब रहता है
जाने क्यूँ है ख़ला बेख़बर के लिए
जाने क्यूँ दिल उदास अब रहता है
जाने क्यूँ है ख़ला बेख़बर के लिए
मेरी बस्ती में ऐसा सूनापन
उसकी महफ़िल ऐसा हंगामा
इतना फ़र्क़ रिश्ता अन्दर है लिए
इक ज़रा साथ मिले तो कह दूं
कितना उससे मैं प्यार करता हूँ
तरस गया हूँ मैं उस मंज़र के लिए
बेसबब बात यूँ उससे उलझ सी गयी
मुश्तक़बिल की तस्वीर बदल सी गयी
एक बूँद न मिली मेरे समंदर के लिए
वक़्त रुकता नहीं पल भर के लिए
कौन आता है यहाँ इस दर के लिए
(Saleem Khan)
4 टिप्पणियाँ:
इक ज़रा साथ मिले तो कह दूं
कितना उससे मैं प्यार करता हूँ
तरस गया हूँ मैं उस मंज़र के लिए
बेसबब बात यूँ उससे उलझ सी गयी
मुश्तक़बिल की तस्वीर बदल सी गयी
एक बूँद न मिली मेरे समंदर के लिए
Bahut khoob!
shukriya !
Bahut badhiya rachana hai!
bahut achchha lga..padhkar..ek sashakt,thhahari huee rachnaa..
एक टिप्पणी भेजें