ख़्वाबों में आ जाते हैं जनाब मिलने मुझसे
उनका नाम अब मेरे नाम से वाबस्ता है
ये सुन क्यूँ लगते हैं लोग जलने मुझसे
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
ख़तरा उठा के भी वो आते मिलने मुझसे
ऐ नए दोस्त इतना न कर मुहब्बत मुझसे
डरता हूँ, ग़म फिर न आ जाए मिलने मुझसे
6 टिप्पणियाँ:
क्या सलीम तुम ही हो हेरत की बात है
कहाँ गायब थे इतनें दिन बड़े गेरत की बात है
हूँ गोरखपुर का आजकल दिल्ली में रहता हूं
गर शायरी से मिले फुर्सत आना मिलनें मुझसे
क्या सलीम तुम ही हो हेरत की बात है
कहाँ गायब थे इतनें दिन बड़े गेरत की बात है
हूँ गोरखपुर का आजकल दिल्ली में रहता हूं
गर शायरी से मिले फुर्सत आना मिलनें मुझसे
न कोई खोज न कोई खबर अमा मियाँ इतने रोज़ थे किधर ?
बेहतरीन अशआर
उनका नाम अब मेरे नाम से वाबस्ता है
ये सुन क्यूँ लगते हैं लोग जलने मुझसे
छत पे रोज़ आ जाते है ख़्वाब मिलने मुझसे
ख़्वाबों में आ जाते हैं जनाब मिलने मुझसे
वाह क्या खूब कहा है………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
vandana jee aapka photo change ho gaya !!!!!!??????
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