आख़िरी बार अब मेरा ये सलाम ले लो
फ़िर न लौटूंगा अब मेरा ये सलाम ले लो
तुम अचानक चले गए ज़िन्दगी से मेरी
बर्बाद मोहब्बत का मेरा ये कलाम ले लो
वक़्त की गर्दिश में खो गया वो लम्हा
तुम उसी लम्हे का मेरा ये पयाम ले लो
तुम नहीं हो पर लगता है तुम ही तुम हो
शब्-ए-तनहाई का मेरा ये अन्जाम ले लो
3 टिप्पणियाँ:
खूबसूरत गज़ल ....
सुन्दर गज़ल!
umda lekin dard bhari gazal.
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