मालूम है दूर हो, तसव्वुर करना न छोड़ देना
ख्वाबों में, मुझे बाँहों में जकड़ना न छोड़ देना
गुलिस्ताँ से आ रही है हसीं खुशबुएँ तुम्हारी
आने वाली इस सबा का रुख न मोड़ देना
पहाड़ों की सरगोशी में मौजूदगी है तुम्हारी
पत्थर से अपने दिल का रिश्ता न तोड़ देना
जिधर भी जाऊं बस नज़र में तुम्हारा है चेहरा
मेरे इस गौर-ओ-फ़िक्र का रस्ता न मोड़ देना
बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना
एक-एक पल सदी सा लगने लगा है अब
इन्तिज़ार के मिठास की शिद्दत न छोड़ देना
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चली तो गयी हो सरहद-ए-सदा से दूर लेकिन
आने से पहले दुनियाँ की रस्मों को तोड़ देना
13 टिप्पणियाँ:
बहुत ही खुबसूरत भाव-अभिव्यक्ति
चली तो गयी हो सरहद-ए-सदा से दूर लेकिन
आने से पहले दुनियाँ की रस्मों को तोड़ देना
zaroor aayegi wo jiska aapko intizaar hai
मालूम है दूर हो, तसव्वुर करना न छोड़ देना
ख्व़ाब में, मुझे बाँहों में जकड़ना न छोड़ देना
गुलिस्ताँ से आ रही है हसीं खुशबू तुम्हारी
आने वाली इस सबा का रुख न मोड़ देना
पहाड़ों की सरगोशी में मौजूदगी है तुम्हारी
पत्थर से मेरे दिल का रिश्ता न जोड़ देना
जिधर भी जाऊं बस नज़र में तुम्हारा है चेहरा
मेरे इस गौर-ओ-फ़िक्र का रस्ता न मोड़ देना
बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना
एक-एक पल सदी सा अब लगने लगा है
इन्तिज़ार के मिठास की शिद्दत न छोड़ देना
sudar rachna
behad khubsurat prastuti aur utne khubsurat shabd sanyogan. shukriya.
बहुत खूबसूरत अंदाज़
बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना
खूबसूरत पंक्तियाँ.
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