बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी, तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना !



मालूम है दूर हो, तसव्वुर करना न छोड़ देना
ख्वाबों में, मुझे बाँहों में जकड़ना न छोड़ देना

गुलिस्ताँ से आ रही है हसीं खुशबुएँ तुम्हारी
आने वाली इस सबा का रुख न मोड़ देना

पहाड़ों की सरगोशी में मौजूदगी है तुम्हारी
पत्थर से अपने दिल का रिश्ता न तोड़ देना

जिधर भी जाऊं बस नज़र में तुम्हारा है चेहरा
मेरे इस गौर-ओ-फ़िक्र का रस्ता न मोड़ देना

बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना

एक-एक पल सदी सा लगने लगा है अब
इन्तिज़ार के मिठास की शिद्दत न छोड़ देना
  ~ ~ ~
चली तो गयी हो सरहद-ए-सदा से दूर लेकिन
आने से पहले दुनियाँ की रस्मों को तोड़ देना

13 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत भाव-अभिव्यक्ति

बेनामी ने कहा…

चली तो गयी हो सरहद-ए-सदा से दूर लेकिन
आने से पहले दुनियाँ की रस्मों को तोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

zaroor aayegi wo jiska aapko intizaar hai

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

मालूम है दूर हो, तसव्वुर करना न छोड़ देना
ख्व़ाब में, मुझे बाँहों में जकड़ना न छोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

गुलिस्ताँ से आ रही है हसीं खुशबू तुम्हारी
आने वाली इस सबा का रुख न मोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

पहाड़ों की सरगोशी में मौजूदगी है तुम्हारी
पत्थर से मेरे दिल का रिश्ता न जोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

जिधर भी जाऊं बस नज़र में तुम्हारा है चेहरा
मेरे इस गौर-ओ-फ़िक्र का रस्ता न मोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना

EJAZ AHMAD IDREESI ने कहा…

एक-एक पल सदी सा अब लगने लगा है
इन्तिज़ार के मिठास की शिद्दत न छोड़ देना

Khursheed ने कहा…

sudar rachna

Amit Chandra ने कहा…

behad khubsurat prastuti aur utne khubsurat shabd sanyogan. shukriya.

Ayaz ahmad ने कहा…

बहुत खूबसूरत अंदाज़

shikha varshney ने कहा…

बिछड़ के भी उलझा रहता हूँ यादों में तुम्हारी
तुम भी दिल के तारों में उलझना न छोड़ देना
खूबसूरत पंक्तियाँ.

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