अब तुम मेरे चैन में नहीं मेरी आहों में हो
मुझे मालूम है कि तुम ग़ैर की बाँहों में हो
जितना हो सके सितम तू मुझपे किये जा
बरबादे-इश्क़ की दहशत मेरे ख्वाबों में हो
पैरों तले ज़मीन और सिर पे रहा न आसमाँ
भूलूँ भी कैसे तुम मेरी हसरतों-सदाओं में हो
दुआ करता हूँ फ़िर भी हमेशा खुश रहे तू
मैं तेरी जफ़ाओं में, तुम मेरी वफ़ाओं में हो
1 टिप्पणियाँ:
अब तुम मेरे चैन में नहीं मेरी आहों में हो
मुझे मालूम है कि तुम ग़ैर की बाँहों में हो
वाह ! क्या बात कही है…………कुछ जैसे टूट सा गया हो।
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