चेहरे कैसे-कैसे इस दुनिया में, सदियाँ लग जायेंगी ये जानने में
कौन अपना और कौन पराया, सदियाँ लग जायेंगी ये जानने में !
भीड़ बहुत है इस दुनियां में, अपनों की भी कमीं नहीं
इन्सान इसमें से कौन है, सदियाँ लग जायेंगी ये जानने में !
वो हमें हर सू अपना कहता रहा और जफा भी करता रहा
वो मेरा महबूब है भी या नहीं, सदियाँ लग जायेंगी ये जानने में !
लेकिन फिक्र किस बात की और ग़म किसका अब 'सलीम'
वो मेरा रक़ीब ही है, सदियाँ लग जायेंगी ये जानने में !
1 टिप्पणियाँ:
वो हमें हर सू अपना कहता रहा और जफा भी करता रहा
bahut khoob
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